Sunday, June 17, 2012

'बिदेसियाÓ की धमक विदेश तक


'बिदेसियाÓ पहुंचा विदेश। माध्यम बनी भोजपुरी की मशहूर गायिका कल्पना पटवारी। लंदन की वर्जिन कंपनी ने कल्पना की आवाज में नौ गाने रिकार्ड किए हैं। नाम है : द लीगेसी आफ भिखारी ठाकुर। बेशक, इस आडियो कैसेट से भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। बिदेसिया भिखारी की लीजेंड रचना है। लंदन की इस मशहूर म्यूजिक कंपनी वर्जिन भिखारी ठाकुर को... पहली बार पेश कर रही है। पर, वर्जिन तक कैसे पहुंचे भिखारी ठाकुर, इसकी कहानी भी दिलचस्प है। यह सारा प्रयास कल्पना है।
भोजपुरी की रोटी तो बहुत लोग खाते हैं, खा रहे हैं। हर रोज भोजपुरी में गायक पैदा हो रहे हैं, लेकिन आज तक किसी गायक ने भिखारी पर ऐसा काम नहीं किया, जितना असम की इस गायिका ने। भूपेन हजारिका से प्रभावित कल्पना बताती हैं कि असम की आवाज भूपेन दा थे। ऐसे ही एक आवाज की तलाश बिहार की थी। कई नाम दिमाग में आए, विद्यापति, भिखारी ठाकुर, महेंदर मिसिर। लेकिन भिखारी ठाकुर पर दिमाग अटक गया। बड़ा अपोजिट नाम लगा। भिखारी...ठाकुर। इनके प्रति जिज्ञासा बढऩे लगी। पता चला, ये हज्जाम थे। नाई का काम करते थे। कलकत्ता (अब कोलकाता) में रहे। वहां राजाराम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद एवं उस दौर में चल रहे सुधार आंदोलन या नव जागरण से काफी प्रभावित हुए। वहां की समस्या को बिहार में भी देखा। इसके बाद बिहार में अपनी मंडली बनाई। सामाजिक विसंगतियों-कुरुतियों, दहेज प्रथा, बाल विवाह आदि पर उनकी लेखनी चल पड़ी। ये सब जानकारी तीन साल के शोध से मिली। शोध के सिलसिले में बहुत लोगों से मिलना हुआ, लेकिन बहुतों ने बिदेसिया का जिक्र भर किया। इसके बाद फुलस्टाप। इतने बड़े लीजेंड पर कोई म्यूजिकली काम नहीं हुआ था। सो, इस दिशा में प्रयास किया। कल्पना उत्साहित हो बताती हैं, नौ गीतों का चयन किया। इसे विदेशी कंपनी से जारी करने की ठानी। कई कंपनियों से बात हुई। भिखारी का नाम सुनते ही वे न...न...न...कह देते। लंदन की वर्जिन से बात हुई। वे बात सुनते ही दो मिनट में राजी हो गए।
इस तरह भिखारी ठाकुर पहली बार, गीत के जरिए, दुनिया में पहुंचेंगे। अब ये माइकल जैक्सन के बगलगीर हो गए। वर्जिन ने माइकल के अलावा बहुत सारे ग्रैमी अवार्ड गायकों के आडियो निकाले हैं।
हम उम्मीद कर सकते हैं, दुनिया के 14 देशों में बोली जाने वाली भोजपुरी की अब प्रतिष्ठा और बढ़ेगी। और, देश की सरकार उसे आठवीं अनुसूची में शामिल करेगी।

कौन हैं भिखारी ठाकुर
भिखारी का जन्म 18 दिसंबर, 1887 को बिहार के कुतुबपुर दियारा में हुआ था और 10 जुलाई, सन 1971 को 84 साल की उम्र में उनका निधन हुआ। वे जीविकोपार्जन के लिये गांव छोड़कर खडगपुर चले गये। वहां उन्होंने काफी पैसा कमाया किन्तु वे अपने काम से संतुष्ट नहीं थे। रामलीला में उनका मन बस गया था। इसके बाद वे जगन्नाथ पुरी चले गए। अपने गांव आकर उन्होने एक नृत्य मण्डली बनायी और रामलीला खेलने लगे। इसके साथ ही वे गाना गाते एवं सामाजिक कार्यों से भी जुड़े।
To know more about The Legacy of Bhikhari Thakur checkout Official Blog
http://bhikharithakurbhojpuri.blogspot.com/

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